आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि राजस्थानी भाषा क्या है? राजस्थानी भाषा के प्रकार व बोलियाँ कोनसी है? और साथ में राजस्थानी भाषा के कुछ शब्दों का हिंदी अर्थ भी जानेंगे।
राजस्थानी भाषा
राजस्थानी भाषा भारत के राजस्थान राज्य के साथ-साथ हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती के क्षेत्रों में बोली जाने वाली महत्वपूर्ण भाषा है।
राजस्थानी भाषा ‘नागरी लिपी’ में लिखी जाती है। जिसे ‘बाण्याँ बाती‘ भी कहा जाता है।
राजस्थानी भाषा दिवस 21 फ़रवरी को मनाया जाता है।
राजस्थानी भाषा की दो शैलियाँ है।
- डिंगल
- पिंगल
डिंगल – मारवाड़ी मिश्रित राजस्थानी भाषा है।
पिंगल = ब्रजभाषा + राजस्थानी भाषा।
राजस्थानी भाषा का सर्वप्रथम उल्लेख 1907 ईस्वी /1908 ई. सर जॉर्ज अब्राह्म ग्रियर्सन ने ‘लिग्विस्टिक सर्वे ऑफ इण्डिया’ में किया।
राजस्थानी भाषा के प्रकार एवं बोलियाँ
पश्चिमी राजस्थानी
मारवाड़ी, मेवाड़ी, बीकानेरी बागड़ी, शेखावाटी, गोड़वाड़ी, खैराड़ी इत्यादि
उत्तरी पूर्वी राजस्थानी
अहीरवाटी एवं मेवाती बोलियाँ।
दक्षिणी पूर्वी राजस्थानी
रांगडी, मालवी और सेंथवाडी इत्यादि
दक्षिणी राजस्थानी
भीली ,नीमाड़ी आदि।
विशेष – हाड़ौती बोली का निर्माण मेवाड़ी और गुजराती के मिश्रण से हुआ है।
मेवाती – अलवर, भरतपुर, धौलपुर, मथुरा और गुडगाँव (हरियाणा) में बोली जाती है।
गोडवाड़ी – जालौर , पाली, बाडमेर (गोडवाड़ प्रदेश)। ‘नरपति नाल्हु द्वारा रचित ‘बीसल देव” की रचना गोडवाड़ी बोली में हुई।
खेराडी – मेवाड़ी + ढूँढ़ाड़ी + हाडौती। इसका क्षेत्र जहाजपुर (भीलवाड़ा) एवं टोंक के आस-पास है।
राजस्थानी भाषा के शब्दों का हिंदी अर्थ
राजस्थानी भाषा के शब्द | हिंदी अर्थ |
कोटड़ी | बोक्स रूम |
कब्जो | ब्लाउज |
मालिया | छत पर कमरा |
मटकी | मिट्टी का छोटा घड़ा। |
मूण | मिट्टी का बडा घड़ा |
ठाटों | कागज गलाकर।मिट्टी के साथ मिलाकर अनाज रखने का बर्तन। |
तडकाऊ | भोर / प्रातःकाल |
गुम्हारिया | तालघर |
उनाण्लो | गर्मी का मौसम |