आज इस आर्टिकल में हम Science से जुड़े विषय “हरित ग्रह प्रभाव व हरित ग्रह प्रभाव की गैसें (Greenhouse Effect And Gases In Hindi)” के बारे में जानेंगे।
हरित ग्रह प्रभाव (GreenHouse Effect in Hindi)
सूर्य की ऊष्मा को ऊष्मारोधी गैसे अवशोषित कर लेती है तथा शेष ऊष्मा को पुनः धरातल को लौटा देती है। इसके कारण वायुमंडल के निचले भाग में ऊष्मा एकत्र हो जाती हैं, यही हरित गृह प्रभाव है।
हरित गृह प्रभाव का कारण, ऊष्मारोधी गेसे हैं।ये ऊष्मारोधी गेसे ही हरित गृह प्रभाव की गैसे कहलाती है।
हरित गृह प्रभाव के बारे में सर्वप्रथम 1824 में "जोसेफ फुरिअर" ने बताया।
जोसेफ फुरिअर के पश्चात हरित गृह प्रभाव की व्याख्या 1858 में जॉन टिंडल ने की।
➡️ 1896 में स्वान्ते आर्हिनियस ने हरित गृह प्रभाव की पूर्ण व्याख्या की।
हरित ग्रह प्रभाव की गैसें (Greenhouse Effect Gases In Hindi)
ये हरित ग्रह प्रभाव की गैसें कहलाती है जो निम्न है।
- कार्बन-डाई ऑक्साइड (CO2)
- क्लोरो-फ्लोरो कार्बन्स (CFCs) या फ्रेऑन
- नाइट्रस ऑक्साइड (Na2O)
- मेथेन (CH4)
कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)
- वर्तमान में वायुमण्डलीय CO2 की मात्रा 380 PPm है। (PPM = Parts per million)
- CO2 की आयु 5-200 वर्ष है।
- ईंधन के दहन (Combustion) से उत्पन्न |
- जंगलों के कटान व भूमि उपयोग परिवर्तन से इसकी मात्रा में वृद्धि।
- पादपों के द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में उपयोगी किंतु आवश्यकता से अधिक CO2 का पादप की पत्तियों में उपस्थित रंध्रों के द्वारा त्याग कर दिया जाता है।
क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स (CFCs)
- वर्तमान में वायुमण्डलीय CFC की मात्रा 2182 ppt है। PPT = Parts Per Trillion
- इसका आयुकाल 45-250 वर्ष होता है।
- CHCs मुख्य रूप से वातानुकूलित यंत्रो (AC), रेफ्रिजरेटर ,प्लास्टिक निर्माण, औद्योगिक रसायनों के वाष्पीकरण से निर्मित होती है।
नाइट्रस ऑक्साइड (Na2O)
- वायुमण्डल में नास्ट्स ऑक्साइड की मात्रा 316 ppb है। (ppb – parts per billion)
नाइट्रस ऑक्साइड के मुख्य स्त्रोत
यह कृषि, बायोमास ईंधन (जैव द्रव्यमान ईधन), नाइट्रोजन युक्त उर्वरक, नायलॉन उद्योग आदि।
मेथेन (CH4)
- वर्तमान में CH4 की वातावरणीय मात्रा 1950 ppb है।
- मिथेजोनिक जीवाणु, मेथेन का निर्माण करके हरित ग्रह प्रभाव को बढ़ा देता है।
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