इस आर्टिकल में हम मनोविज्ञान शिक्षण विधि के एक मुख्य टॉपिक “भाषा कौशल (LSRW – Language Skills In Hindi) व भाषा कौशल के प्रकार” के बारे में विस्तार से जानेंगे।
भाषा कौशल (Language Skills In Hindi)
किसी भी व्यक्ति में / बालक में भाषा का विकास कुशलतापूर्वक जिस क्रम में होता है, उस क्रम के तहत आने वाले सोपानों को भाषा कौशल कहा जाता है।
भाषा कौशल विकास का क्रम LSRW के रूप में होता है।
सामान्य रूप से सर्वमान्य भाषा कौशल विकास क्रम : सुनना (L) > बोलना (S) > पढ़ना (R) > लिखना (W)।
Note - श्रीमती मोरिया मॉनिटरिंग के अनुसार भाषा कौशल का क्रम LSRW नही होता बल्कि इन्होंने अपना क्रम LSWR माना है। यानी सुनना > बोलना > लिखना > पढ़ना ।
- सुनना (L)( श्रवण कौशल) (प्राथमिक कौशल/ आधार कौशल)
- बोलना (S) ( उच्चारण कौशल) (द्वितीयक कौशल)
- पढ़ना (R) (वाचन कौशल) (प्राथमिक कौशल)
- लिखना (W) (लेखन कौशल) (द्वितीयक कौशल)
★ सुनना ,बोलना ,पढ़ना ग्राहय कौशल है।ग्राहय कौशल वे होते हैं जो सीखने से संबंधित होते हैं।
★ बोलना, पढ़ना, लिखना अभिव्यंजना कौशल है जो कि अभिव्यक्त करने से संबंधित होता है।
भाषा कौशल के प्रकार (Types Of Language Skills In Hindi)
तो आप जान चुके होंगे किं भाषा कौशल चार प्रकार के होते है। अब इनके बारे में विस्तार से जान लेते है।
श्रवण कौशल (सुनना)
यह भाषा कौशल विकास का सबसे प्राथमिक एवं आधारभूत कौशल है।इस कौशल में व्यक्ति अथवा बालक जितना अधिक कुशल होगा उसमें भाषा का विकास भी उतना ही बेहतर प्रकार का हो सकेगा।
श्रवण कौशल के लिए आवश्यक बातें
- सबसे पहली आवश्यकता है ठीक प्रकार से सुनना इसके लिए कान (श्रवण इंद्रियां) ठीक होनी चाहिए क्योंकि जब तक व्यक्ति सुनेगा नहीं तो बोलेगा कैसे?
नोट- एक सर्वे में निष्कर्ष मिला है कि लगभग 90 से 95 परसेंट भी लोग होते हैं जो सुनते नहीं है।
- शांतिमय वातावरण का होना।
- सुनाने वाले अथवा वक्ता के शब्दों का उच्चारण बिल्कुल स्पष्ट एवं शुद्ध होना चाहिए।
- ध्यान का केंद्रित होना/ अवधान।
- अंतर्बोध शक्ति का होना।
- धारण शक्ति का होना।
- अर्थबोध शक्ति का होना।
उपयुक्त विचार सकारात्मक होने की स्थिति में इस बात को स्पष्ट करती है कि सुनिश्चित रूप से श्रवण कौशल अच्छा होगा।
उच्चारण कौशल (बोलना)
जब एक बालक अथवा व्यक्ति जैसा सुनता है ठीक उसी प्रकार से शुद्ध अथवा स्पष्ट बोल पाता है, तब वह उसका उच्चारण कौशल कहलाता है।
- स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारण।
- शब्द का वाक्य विन्यास सही हो।
- पर्याय शब्दों का प्रयोग अनावश्यक ना हो।
- अधिकतम अलंकृत शब्दावली नहीं हो।
उच्चारण कौशल में बाधक
- शीघ्रता से बोलने की आदत।
- भौगोलिक वातावरण का प्रभाव।
- शारीरिक / मानसिक दोष (जैसे हकलाना, तुतलाना आदि)
- सामाजिक वातावरण का प्रभाव
- अभिव्यक्ति की क्षमताओं का अभाव
इन सभी बातों का ध्यान रखकर सही तरह का उच्चारण कौशल पैदा किया जा सकता है।
वाचन कौशल
किसी भी लिखित विषय वस्तु को स्मरण / याद करने के लिए वाचन कौशल का उपयोग किया जाता है।
वाचन कौशल के प्रकार
वाचन कौशल दो प्रकार के होते हैं।
- सस्वर वाचन
- मौन वाचन
सस्वर वाचन
जब वाचन करते समय मुख से ध्वनि बाहर निकलती है तो तथा पास बैठा अन्य व्यक्ति भी उसे सुन सकता है तो यह सस्वर वाचन कहलाता है।
प्रारंभ में सस्वर वाचन ही होता है जो मौन वाचन का आधार भी होता है।
सस्वर वाचन भी 2 प्रकार के होते है।
A) आदर्श सस्वर वाचन
जब एक शिक्षक किसी विषय वस्तु को पहले स्वयं सस्वर वाचन करते हुए बालकों को सुनाता है तो यह आदर्श सस्वर वाचन कहलाता है जो केवल शिक्षक के द्वारा किया जाता है।
B) अनुकरण सस्वर वाचन
जब बालक शिक्षक का अनुकरण कर वाचन करते है तो यह अनुकरण वाचन कहलाता है।
अनुकरण वाचन दो प्रकार के होते हैं।
१. व्यक्तिगत अनुकरण वाचन
एक अकेला बालक या व्यक्ति जब अनुकरण वाचन कर रहा हो।
२. सामूहिक अथवा समवेत अनुकरण वाचन
जब सभी बालक एक साथ मिलकर अनुकरण वाचन कर रहे हो।
मौन वाचन
जब वाचन के समय मुख से ध्वनि बाहर नही निकलती तथा मन ही मन पढ़ते है तो यह मौन वाचन होता है।
गंभीर मौन वाचन
धीरे धीरे एवं गंभीरता से पढ़ना जिससे कि विषय वस्तु निश्चित रूप से याद हो सके।
द्रुत मौन वाचन
पहले से स्मरण की गई विषय वस्तु को पुनः स्मरण के समय किया जाता है।
Note- मौन वाचन की शुरुआत कक्षा 3 से ही करवानी चाहिए क्योंकि प्रतिभाशाली बालको में इसकी शुरुआत कक्षा 3 से ही हो जाती है परन्तु सामान्य बालकों यह कक्षा 5 के बाद यानी कक्षा 6 से शुरू होता है।
मौन वाचन का उद्देश्य विषय-वस्तु को याद करने / स्मरण करने से संबंधित होता है।
लेखन कौशल (लिखना)
प्राप्त ज्ञान को स्थायी बनाने के लुए यह सबसे मुख्य भाषा कौशल है।
यह एक कठिन कौशल है इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- वर्तनी संबंधी त्रुटि न हो।
- लिखावट सुंदर होनी चाहिए।
- लिखते समय सिरोबन्ध आवश्यक है।
- कलम को अधिकतम 1 इंच से पकड़ना एवं पुस्तिका व पेन के बीच 45° का कोण ध्यान में रखते हुए लिखना।
- लिखते समय शब्द एवं वाक्यो का चयन भी एवं वर्णों की सरंचना भी महत्वपूर्ण है।
तो दोस्तो आपको यह मनोविज्ञान शिक्षण विधि के आर्टिकल “(Language Skills In Hindi) भाषा कौशल क्या है? भाषा कौशल के प्रकार” कैसा लगा ,कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये।