24 JAIN TIRTHANKARAS NAMES IN HINDI AND THEIR SYMBOLS | 24 जैन तीर्थंकर के नाम और उनके प्रतीक चिन्ह की जानकारी
जैन धर्म में तीर्थंकरों को भगवान का दर्जा प्राप्त है।जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं।तीर्थंकर का अर्थ है-तारने वाले अर्थात जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते हैं, तीर्थंकर कहलाते हैं और तीर्थंकर तप के माध्य्म से आत्मज्ञान (केवलज्ञान) की प्राप्ति करते है और जिन्होंने अपने अंदर के शत्रुओं(क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि) पर पूरी तरह विजय प्राप्त कर ली हो,वो भी तीर्थंकर कहलाते हैं।
आज इस आर्टिकल में हम 24 तीर्थंकर के नाम और उनके प्रतीक चिन्ह (24 Jain Tirthankaras Names In Hindi And Their Symboles) की जानकारी प्राप्त करेंगे।
तीर्थंकर को अरिहंत के नाम से भी जाना जाता है।अरिहंत को भगवान के नाम से भी जाना जाता है।
LIST OF 24 JAIN TIRTHANKARAS Name In Hindi And Their SYMBOLS – 24 तीर्थंकर के नाम और उनके प्रतीक चिन्ह
S.N | तीर्थंकर नाम | प्रतीक चिन्ह |
---|---|---|
1 | ऋषभदेव जी | बैल |
2 | अजीत नाथ जी | हाथी |
3 | संभव नाथ जी | घोड़ा |
4 | अभिनंदन जी | बंदर |
5 | सुमित नाथ जी | चकवा |
6 | पदम प्रभु जी | कमल |
7 | सुपार्श्वनाथ जी | साथिया |
8 | चंदा प्रभु जी | चंद्रमा |
9 | सुविधिनाथ जी | मगर |
10 | शीतलनाथ जी | कल्पव्रक्ष |
11 | श्रेयांश नाथ जी | गेंडा |
12 | वासुपूज्य जी | भैंसा |
13 | विमल नाथ जी | शूकर |
14 | अनन्तनाथ जी | सेही |
15 | धर्म नाथ जी | ब्रजदंड |
16 | शांतिनाथ जी | हिरण |
17 | कुंथुनाथ जी | बकरा |
18 | अरहनाथ जी | मछली |
19 | मल्लिनाथ जी | कलश |
20 | मुनिसुव्रत जी | कछुआ |
21 | नमिनाथ जी | नीलकमल |
22 | अरिष्टनेमि जी | शंख |
23 | पार्श्वनाथ जी | सर्प |
24 | महावीर स्वामी जी | सिंह |
जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर की जानकारी (Jain Tirthankaras Information In Hindi)
(1) ऋषभदेव जी :- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी है।इनके अन्य नाम आदिनाथ, वृषभनाथ है।यह इक्ष्वाकु वंश से थे।इनके पिता का नाम नाभिराज व माता का नाम महारानी मरुदेवी था।इनके भरत चक्रवर्ती व बाहुबली समेत 100 पुत्र व 2 पुत्रिया ब्राम्ही व सुंदरी थी।
भगवान ऋषभदेव जी की एक 84 फुट ऊंची विशाल प्रतिमा भारत में मध्य प्रदेश राज्य के बड़वानी जिले में बावनगजा नामक स्थान पर स्तिथ है और मांगीतुंगी (महाराष्ट्र ) में भी भगवान ऋषभदेव जी की 108 फुट की एक विशाल प्रतिमा है।
जैन ग्रंथो के अनुसार लगभग 1000 वर्षो तक तप करने के पश्चात ऋषभदेव को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन आपको कैवल्य की प्राप्ति हुई।
(2) पार्श्वनाथ जी :- जैन धर्म के 23वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी हैं।इनके पिता का नाम राजा अश्वसेन व माता का नाम वामा था।इन्हहोंने तीस वर्ष की आयु में घर त्याग दिया था और जैनेश्वरी दीक्षा ले ली थी और ब्रह्मचारी अविवाहित थे।काशी में 83 दिन तक कठोर तपस्या करने के बाद 84वें दिन उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुई थी।इनका जन्म पौष कृष्ण पक्ष की दशमी को वाराणसी (काशी) में हुआ था। चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ही कैवल्य की प्राप्ति हुई।श्रावण शुक्ल की अष्टमी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
(3). महावीर स्वामी जी :- जैन धर्म के अंतिम व 24 तीर्थंकर का नाम महावीर स्वामी है।इनके पिता का नाम सिद्धार्थ का माता का नाम त्रिशला (प्रियंकारिनी) था।उनके बचपन का नाम वर्धमान था इनका जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को कुंडलपुर ग्राम में हुआ।महावीर स्वामी को पावापुरी में 72 वर्ष की उम्र में निर्वाण प्राप्त हुआ।
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